2) माँ ब्रह्मचारिणी, दुर्गा के 9 रूप
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माँ ब्रह्मचारिणी, दुर्गा के 9 रूप |
दूसरा स्वरूप- देवी ब्रह्मचारिणी
महत्व :मां दुर्गा की नवशक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए इन्होंने हजारों वर्षों तक घोर तपस्या की थी। इनकी पूजा से अनंत फल की प्राप्ति एवं तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम जैसे गुणों की वृद्धि होती है। इनकी उपासना से साधक को सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है।
पौराणिक कथा : पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने वर्षों तक कठिन तपस्या की और अंत में उनकी तपस्या सफल हुई। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से सिद्धी की प्राप्ति होती है। तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि के लिए देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है।
पूजन मंत्र: दधाना करपाद्माभ्याम, अक्षमालाकमण्डलु।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
बीज मंत्र: ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:
पूजन विधि: स्नानआदि से निवृत्त होकर पूजा स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें। इसके बाद माता को अर्घ्य दें। मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं। धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें।
माता का प्रिय रंग: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता ब्रह्मचारिणी को नारंगी रंग पसंद है।