चैत्र नवरात्रि 2023-नवरात्र की अस्टमी या नवमी तिथि के दिन कैसे करें हवन, जानें पूजा विधि और सामग्री

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चैत्र नवरात्रि 2023 :- नवरात्र की अस्टमी या नवमी तिथि के दिन कैसे करें हवन, जानें पूजा विधि और सामग्री

नवरात्र में हवन करने की सामग्री:

नवरात्र में हवन कई लोग कुछ सामग्री को लेकर कर लेते हैं। इसके अलावा आप चाहे तो विधिवत तरीके से हवन सामग्री इकट्ठा करके हवन कर सकते हैं। नवरात्र में अंतिम दिन हवन के लिए एक सूखा नारियल, लाल रंग का कपड़ा, कलावा, एक हवन कुंड, सूखी आम की लकड़िया, इसके अलावा अश्वगंधा, ब्राह्मी, मुलैठी की जड़, चंदन, बेल, नीम, पीपल का तना ,छाल, गूलर की छाल और पलाश की लकड़ियां शामिल कर सकते हैं।

हवन धूप में मिलाने के लिए काला तिल, कपूर, चावल, गाय का घी, लौंग, लोभान, इलायची, गुग्गल, जौ और शक्कर मिलाकर रखें। इसके अलावा इसमें पंच मेवा भी डाल सकते हैं।


नवरात्र की नवमी या दशमी तिथि के दिन कैसे करें हवन, जानें पूजा विधि और सामग्री



नवरात्र में हवन करने की विधि:

नवरात्र की नवमी तिथि को विधिवत तरीके से मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धादात्री की पूजा कर लें। इसके साथ ही कलश स्थापना की पूजा करें। इसके बाद पूजा स्थान या साफ-सुथरी जगह पर आटा से एक रंगोली बनाएं और उसके ऊपर हवन कुंड रख दें। इसके साथ ही पास में चौकी में मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति केसाथ कलश कर लें। अब हवन शुरू करें। इसके लिए हवन कुंड में लकड़ी रखें और थोड़ा सा कपूर या घी डालकर जला दें। इसके साथ ही एक आसन में बैठ जाएं और मंत्रों के साथ हवन आरंभ करें। जब हवन मंत्रों के साथ आहुति डाल दें, तो फिर खीर का भोग डालें। फिर सूखा नारियल में में बीच से किसी चीज की मदद से छेद कर दें और उसमें घी भर दें। अंत में इसे हवन कुंडल के बीच में दबा दें। इसके बाद अंत में बची हुआ हवन धूप को ऊपर से डालकर इस मंत्र को बोले- ऊं पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा।


हवन करते समय इन मंत्रों के साथ दें आहुति:


ऊं आग्नेय नम: स्वाहा


ऊं गणेशाय नम: स्वाहा


ऊं गौरियाय नम: स्वाहा


ऊं नवग्रहाय नम: स्वाहा


ऊं दुर्गाय नम: स्वाहा


ऊं महाकालिकाय नम: स्वाहा


ऊं हनुमते नम: स्वाहा


ऊं भैरवाय नम: स्वाहा


ऊं कुल देवताय नम: स्वाहा


ऊं न देवताय नम: स्वाहा


ऊं ब्रह्माय नम: स्वाहा


ऊं विष्णुवे नम: स्वाहा

ऊं शिवाय नम: स्वाहा


ऊं जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा


स्वधा नमस्तुति स्वाहा।


ऊं ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा।


ऊं गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।


ऊं शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।


 चैत्र नवरात्रि 2023-नवरात्र की  अस्टमी या नवमी तिथि के दिन कैसे करें हवन, जानें पूजा विधि और सामग्री

कृपया ध्यान दें : अगर ऊपर दी गयी जानकारी में कोई भी गलती हो तो जरूर बताये। और उन गलतियों के लिए माफ़ कर देना। 

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