मां चंद्रघंटा, दुर्गा के 9 रूप,

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                 3) मां चंद्रघंटा, दुर्गा के 9 रूप

मां चंद्रघंटा, दुर्गा के 9 रूप

तीसरा स्वरूप- मां चंद्रघंटा

महत्व :बाघ पर सवार मां दुर्गाजी की तीसरी शक्ति देवी चंद्रघंटा है। इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनकी आराधना से साधकों को चिरायु, आरोग्य, सुखी और संपन्न होने का वरदान प्राप्त होता है तथा स्वर में दिव्य, अलौकिक माधुर्य का समावेश हो जाता है। प्रेत-बाधादि से ये अपने भक्तों की रक्षा करती है।

पौराणिक कथा: राक्षस महिषासुर से देवता और ऋषि मुनि त्रस्त थे ऐसे में सब मां आदिशक्ति के पास गए तब मत ने चंद्रघंटा के अबतर में महिषासुर का वध किया था। 

पूजन मंत्र: पिंडजप्रवरारूढ़ा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
               प्रसादं तनुते मह्मं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।

बीजमंत्र: ऐं श्रीं शक्तयै नम:

पूजन विधि: सर्वप्रथम ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि करने के पश्चात पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें। अब मां चंद्रघंटा का ध्यान करें और उनके समक्ष दीपक प्रज्वलित करें। अब माता रानी को अक्षत, सिंदूर, पुष्प आदि चीजें अर्पित करें। इसके बाद मां को प्रसाद के रूप में फल और मखाने की खीर अर्पित करें। अब मां चंद्रघंटा की आरती करें। पूजा के पश्चात क्षमा याचना करें।

माता का प्रिय रंग: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां चंद्रघंटा को सफेद रंग पसंद है।

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