5) मां स्कंदमाता
मां स्कंदमाता,माँ दुर्गा के 9 रूप, |
पांचवा स्वरूप- माता स्कंदमाता
महत्व : भगवान स्कंद जिनको कार्तिकेय के नाम से भी जाना जाता है उनकी माता होने के कारण देवी के इस पांचवें स्वरुप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। यह कमल के आसान पर विराजमान हैं इसलिए इन्हें पद्मासन देवी भी कहा जाता है। स्कंदमाता की साधना से साधकों को आरोग्य, बुद्धिमता तथा ज्ञान की प्राप्ति होती है।
पौराणिक कथा: पौराणिक कथा के अनुसार तारकासुर नामक असुर की मृत्यु केवल शिव पुत्र से ही संभव थी। तब माता पार्वती ने अपने पुत्र भगवान स्कन्द, को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने हेतु स्कन्द माता का रूप ले लिया। फिर उन्होंने भगवान स्कन्द को युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया था। मां से युद्ध प्रशिक्षिण लेने के बाद भगवान स्कन्द ने तारकासुर का वध किया था।
पूजन मंत्र: सिंहासनगता नित्यं, पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी, स्कंदमाता यशस्विनी।
बीजमंत्र: ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
पूजन विधि: पंचमी तिथि को स्नान करके बाद में माता की पूजा शुरू करें। मां की प्रतिमा या चित्र को गंगा जल से शुद्ध करें। इसके बाद कुमकुम, अक्षत, फूल, फल आदि अर्पित करें। मिष्ठान का भोग लगाएं। माता के सामने घी का दीपक जलाएं। उसके बाद पूरे विधि-विधान और सच्चे मन से मां की पूजा करें। फिर मां की आरती उतारें, कथा पढ़ें और आखिर में मां के मंत्रों का जाप करें।
माता का प्रिय रंग: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता स्कंदमाता को नीला रंग पसंद है।