प्रदोष व्रत करने से लाभ,प्रदोष व्रत तिथि 2023 में और प्रदोष व्रत कथा

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प्रदोष व्रत करने से लाभ,प्रदोष व्रत तिथि 2023 में और प्रदोष व्रत कथा 


।। भगवान शिव का प्रदोष व्रत स्तोत्र ।।


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दरिद्रता और ऋण के भार से दु:खी व संसार की पीड़ा से व्यथित मनुष्यों के लिए प्रदोष पूजा व व्रत पार लगाने वाली नौका के समान है। स्कन्दपुराण के अनुसार जो लोग प्रदोष काल में भक्तिपूर्वक भगवान शिव की पूजा करते हैं, उन्हें धन-धान्य, स्त्री-पुत्र व सुख-सौभाग्य की प्राप्ति और उनकी हर प्रकार की उन्नति होती है।



प्रदोष व्रत 2023 


*प्रदोष व्रत की पूजा का समय

प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा शाम को सूर्यास्त से करीब 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद की जाती है।

*प्रदोष व्रत तिथि 2023 में निम्नलिखित हैं:-

प्रदोष व्रत तिथि जनवरी में:-

शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत
बुधवार, 04 जनवरी 2023
03 जनवरी 2023 को रात 10:02 बजे से - 05 जनवरी 2023 को 12:01 बजे

कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत
गुरुवार, 19 जनवरी 2023
19 जनवरी 2023 दोपहर 01:18 बजे से 20 जनवरी 2023 सुबह 10:00 बजे तक

प्रदोष व्रत तिथि फरवरी में:-

शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत, गुरु प्रदोष व्रत
गुरुवार, 02 फरवरी 2023
02 फरवरी 2023 शाम 04:26 बजे - 03 फरवरी 2023 शाम 06:58 बजे

कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत, शनि प्रदोष व्रत
शनिवार, 18 फरवरी 2023
17 फरवरी 2023 रात 11:36 बजे से 18 फरवरी 2023 रात 08:02 बजे तक

प्रदोष व्रत तिथि मार्च में:-

शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत, शनि प्रदोष व्रत
शनिवार, 04 मार्च 2023
04 मार्च 2023 सुबह 11:43 बजे - 05 मार्च 2023 दोपहर 02:07 बजे

कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत (मधु कृष्ण त्रयोदशी), रवि प्रदोष व्रत
रविवार, 19 मार्च 2023
19 मार्च 2023 सुबह 08:07 बजे से 20 मार्च 2023 सुबह 04:55 बजे तक

प्रदोष व्रत तिथि अप्रैल में:-

शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत
सोमवार, 03 अप्रैल 2023
03 अप्रैल 2023 सुबह 06:24 बजे - 04 अप्रैल 2023 सुबह 08:05 बजे

कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत
सोमवार, 17 अप्रैल 2023
17 अप्रैल 2023 दोपहर 03:46 बजे - 18 अप्रैल 2023 दोपहर 01:27 बजे

मई में प्रदोष व्रत तिथि:-

शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत
बुधवार, 03 मई 2023
02 मई 2023 रात 11:18 बजे - 03 मई 2023 रात 11:50 बजे

कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत
बुधवार, 17 मई 2023
16 मई 2023 रात 11:36 बजे - 17 मई 2023 रात 10:28 बजे

प्रदोष व्रत तिथि जून में:-

शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत, गुरु प्रदोष व्रत
गुरुवार, 01 जून 2023
01 जून 2023 दोपहर 01:39 बजे - 02 जून 2023 दोपहर 12:48 बजे

कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत, गुरु प्रदोष व्रत
गुरुवार, 15 जून 2023
15 जून 2023 सुबह 08:32 बजे से 16 जून 2023 सुबह 08:40 बजे तक

प्रदोष व्रत तिथि जुलाई में:-

शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत
शनिवार, 01 जुलाई 2023
01 जुलाई 2023 को 01:17 पूर्वाह्न - 01 जुलाई 2023 को रात्रि 11:07 बजे

कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत, शुक्र प्रदोष व्रत
शुक्रवार, 14 जुलाई 2023
14 जुलाई 2023 शाम 07:17 बजे - 15 जुलाई 2023 रात 08:33 बजे

शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत, रवि प्रदोष व्रत
रविवार, 30 जुलाई 2023
30 जुलाई 2023 सुबह 10:34 बजे - 31 जुलाई 2023 सुबह 07:27 बजे

प्रदोष व्रत तिथि अगस्त में:-

कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत, रवि प्रदोष व्रत
रविवार, 13 अगस्त 2023
13 अगस्त 2023 सुबह 08:20 बजे से 14 अगस्त 2023 सुबह 10:25 बजे तक

शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत
सोमवार, 28 अगस्त 2023
28 अगस्त 2023 को शाम 06:23 बजे से - 29 अगस्त 2023 को दोपहर 02:48 बजे तक

प्रदोष व्रत तिथि सितंबर में:-

कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत, भौम प्रदोष व्रत
मंगलवार, 12 सितंबर 2023
11 सितंबर 2023 को रात 11:52 बजे से 13 सितंबर 2023 को सुबह 02:21 बजे तक

शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत
बुधवार, 27 सितंबर 2023
27 सितंबर 2023 सुबह 01:46 बजे से 27 सितंबर 2023 रात 10:19 बजे तक

प्रदोष व्रत तिथि अक्टूबर में:-

कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत
बुधवार, 11 अक्टूबर 2023
11 अक्टूबर 2023 शाम 5:37 बजे - 12 अक्टूबर 2023 शाम 07:54 बजे

शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत, गुरु प्रदोष व्रत
गुरुवार, 26 अक्टूबर 2023
26 अक्टूबर 2023 सुबह 09:44 बजे से 27 अक्टूबर 2023 सुबह 06:57 बजे तक


*प्रदोष व्रत करने से लाभ,प्रदोष व्रत तिथि 2023 में और प्रदोष व्रत कथा 


प्रदोष व्रत तिथि नवंबर में:-

कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत (धनत्रयोदशी), शुक्र प्रदोष व्रत
शुक्रवार, 10 नवंबर 2023
10 नवंबर 2023 दोपहर 12:36 बजे - 11 नवंबर 2023 दोपहर 01:58 बजे

शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत, शुक्र प्रदोष व्रत
शुक्रवार, 24 नवंबर 2023
24 नवंबर 2023 को शाम 07:07 बजे से - 25 नवंबर 2023 को शाम 05:22 बजे तक

प्रदोष व्रत तिथि दिसंबर में:-

कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत, रवि प्रदोष व्रत
रविवार, 10 दिसम्बर 2023
10 दिसंबर 2023 सुबह 7:13 बजे से 11 दिसंबर 2023 सुबह 07:10 बजे तक

शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत, रवि प्रदोष व्रत
रविवार, 24 दिसंबर 2023
24 दिसंबर 2023 सुबह 06:24 बजे से 25 दिसंबर 2023 सुबह 05:55 बजे तक

*प्रदोष व्रत कथा 

एक बार एक अत्यन्त गरीब ब्राह्मणी अपने पुत्र को लेकर शाडिल्य मुनि के पास गयी और अपनी दरिद्रता दूर करने का उपाय पूछने लगी। शाडिल्य मुनि ने ब्राह्मणी से कहा- ‘प्रदोषकाल में भगवान शिव की पूजा करने से इसी जन्म में मनुष्य धन-धान्य, कुल व सम्पत्ति से सम्पन्न हो जाता है। तुम्हारा पुत्र पूर्व-जन्म में ब्राह्मण था। इसने अपना सारा जीवन दान लेने में बिताया, इस कारण इस जन्म में इसे दारिद्रय मिला। इस दोष को दूर करने के लिए अब इसे भगवान शंकर की शरण में जाना चाहिए।

दोनों पक्षों की त्रयोदशी को निराहार रहकर यह व्रत करे। प्रदोषकाल में भगवान शिव का पूजन आरम्भ करे। फिर हाथ जोड़कर मन-ही-मन उनका आह्वान करे- ‘हे भगवन् ! आप ऋण, पातक, दुर्भाग्य, व दरिद्रता आदि के नाश के लिए मुझ पर प्रसन्न हों।’

फिर दरिद्रतानाशक व सम्पत्तिदायक भगवान शिव के प्रदोष स्तोत्र का पाठ करते हुए प्रार्थना करें-

* प्रदोष स्तोत्र *


जय देव जगन्नाथ जय शंकर शाश्वत।
जय सर्वसुराध्यक्ष जय सर्वसुरार्चित।।१।।

हे देव जगन्नाथ (समस्त जगत के स्वामिन्) ! हे देव ! आपकी जय हो । हे सनातन शंकर (सर्वदा कल्याण करने वाले) ! आपकी जय हो। हे सर्वसुराध्यक्ष (समस्त देवताओं के अध्यक्ष) ! आपकी जय हो तथा हे सर्वसुरार्चित (समस्त देवताओं द्वारा पूजित) ! आपकी जय हो।

जय सर्वगुणातीत जय सर्ववरप्रद।
जय नित्यनिराधार जय विश्वम्भराव्यय।।२।।


हे सर्वगुणातीत (सभी गुणों से अतीत) ! आपकी जय हो। हे सर्ववरप्रद (सबको वर प्रदान करने वाले) ! आपकी जय हो। नित्य, आधाररहित, अविनाशी विश्वम्भर ! आपकी जय हो।

जय विश्वैकवन्द्येश जय नागेन्द्रभूषण।
जय गौरीपते शम्भो जय चन्द्रार्धशेखर।।३।।


हे विश्वैकवन्द्येश (समस्त विश्व के एकमात्र वन्दनीय परमात्मन्) ! आपकी जय हो। हे नागेन्द्रभूषण (नागेन्द्र को आभूषण के रूप में धारण करने वाले) ! आपकी जय हो। हे गौरीपते ! आपकी जय हो। हे चन्द्रार्धशेखर (अपने मस्तक पर अर्धचन्द्र को धारण करने वाले) शम्भो ! आपकी जय हो।

जय कोट्यर्कसंकाश जयानन्तगुणाश्रय।
जय भद्र विरुपाक्ष जयाचिन्त्य निरंजन।।४।।


हे कोटि सूर्यों के समान तेजस्वी शिव ! आपकी जय हो। अनन्त गुणों के आश्रय परमात्मन् ! आपकी जय हो। हे विरुपाक्ष (तीन नेत्रों वाले कल्याणकारी शिव) ! आपकी जय हो । हे अचिन्त्य ! हे निरंजन ! आपकी जय हो।

जय नाथ कृपासिन्धो जय भक्तार्तिभंजन।
जय दुस्तरसंसारसागरोत्तारण प्रभो।।५।।


हे नाथ ! आपकी जय हो। भक्तों की पीड़ा का नाश करने वाले कृपासिन्धो ! आपकी जय हो। हे दुस्तर संसार-सागर से पार उतारने वाले परमेश्वर ! आपकी जय हो।

प्रसीद मे महादेव संसारार्तस्य खिद्यत:।
सर्वपापक्षयं कृत्वा रक्ष मां परमेश्वर।।६।।

हे महादेव ! मैं संसार के दु:खों से पीड़ित एवं खिन्न हूँ, मुझ पर प्रसन्न होइए। हे परमेश्वर ! मेरे सारे पापों का नाश करके मेरी रक्षा कीजिए।

महादारिद्रयमग्नस्य महापापहतस्य च।
महाशोकनिविष्टस्य महारोगातुरस्य च।।७।।


हे शंकर ! मैं घोर दारिद्रय के समुद्र में डूबा हुआ हूँ। बड़े-बड़े पापों से आहत हूँ, अनन्त चिन्ताएं मुझे घेरी हुई हैं, भयंकर रोगों से मैं दु:खी हूँ।

ऋणभारपरीतस्य दह्यमानस्य कर्मभि:।
ग्रहै: प्रपीड्यमानस्य प्रसीद मम शंकर।।८।।


सब ओर से ऋण के भार से लदा हुआ हूँ। पापकर्मों की आग में जल रहा हूँ और ग्रहों से अत्यन्त पीड़ित हो रहा हूँ। हे शंकर मुझ पर प्रसन्न होइये।

स्तोत्र पाठ का फल-

दरिद्र: प्रार्थयेद् देवं प्रदोषे गिरिजापतिम्।
अर्थाढ्यो वाऽथ राजा वा प्रार्थयेद् देवमीश्वरम्।।९।।

दीर्घमायु: सदारोग्यं कोशवृद्धिर्बलोन्नति:।
ममस्तु नित्यमानन्द: प्रसादात्तव शंकर।।१०।।


यदि दरिद्र व्यक्ति प्रदोषकाल में भगवान गिरिजापति की प्रार्थना करता है तो वह धनी हो जाता है और यदि राजा प्रदोषकाल में भगवान शंकर की प्रार्थना करता है तो उसे दीर्घायु की प्राप्ति होती है, वह सदा निरोगी रहता है। उसके कोश की वृद्धि व सेना की अभिवृद्धि होती है। हे शंकर ! आपकी कृपा से मुझे भी नित्य आनन्द की प्राप्ति हो।

शत्रव: संक्षयं यान्तु प्रसीदन्तु मम प्रजा:।
नश्यन्तु दस्यवो राष्ट्रे जना: सन्तु निरापद:।।११।।


मेरे शत्रु क्षीणता को प्राप्त हों तथा मेरी प्रजाएं सदा प्रसन्न रहें। चोर-डाकू नष्ट हो जाएं। राज्य में सारे लोग आपत्तिरहित हो जाएं।

दुर्भिक्षमारिसंतापा: शमं यान्तु महीतले।
सर्वसस्यसमृद्धिश्च भूयात् सुखमया दिश:।।१२।।


पृथ्वी पर दुर्भिक्ष, महामारी आदि का संताप (प्रकोप) शान्त हो जाए। सभी प्रकार की फसलों की वृद्धि हो। दिशाएं सुखमयी बन जाएं।

एवमाराधयेद् देवं पूजान्ते गिरिजापतिम्।
ब्राह्मणान् भोजयेत् पश्चाद् दक्षिणाभिश्च पूजयेत्।।१३।।


इस प्रकार गिरिजापति की आराधना करनी चाहिए। आराधना के अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। इसके बाद दक्षिणा आदि देकर उनका पूजन करना चाहिए।

सर्वपापक्षयकरी सर्वरोगनिवारिणी।
शिवपूजा मयाख्याता सर्वाभीष्टफलप्रदा।।१४।।


भगवान शिव की पूजा सब पापों का नाश करने वाली, सब रोगों को दूर करने वाली और समस्त अभीष्ट फलों को देने वाली है।

यदि व्रत-पूजन आदि का कोई विधि-विधान न बन सके तो श्रद्धाविश्वासपूर्वक केवल प्रतिदिन इस स्तोत्र का पाठ ही करें तो मनुष्य की जन्म-जन्मातर की दरिद्रता दूर हो जाती है। भगवान शिव सब पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखें।

।। ॐ नमः महेश्वराय ।।

प्रदोष व्रत करने से लाभ,प्रदोष व्रत तिथि 2023 में और प्रदोष व्रत कथा 

कृपया ध्यान दें : अगर ऊपर दी गयी जानकारी में कोई भी गलती हो तो जरूर बताये। और उन गलतियों के लिए माफ़ कर देना। 

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