2023 इस बार नवरात्रि पूजा कैसे करें?

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इस बार नवरात्रि पूजा कैसे करें?








इस बार नवरात्रि पूजा कैसे करें?

पंचांग के अनुसार माँ दुर्गा की  पूजा, दिन 22 मार्च से शुरू होगी. 22 मार्च को चैत्र मास की शुक्‍ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है, इस दिन से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है.  इस साल चैत्र रामनवमी 22 मार्च से प्रारंभ होकर 30 मार्च तक रहेगी. नवरात्रि के दिनों में माँ दुर्गा के नौं रूपों की पूजा की जाती है 


नवरात्रि पूजन सामग्री:- 

माता की चुनरी, माता का श्रृंगार (सिंदूर, बिंदी, चूड़ी, कांगी, लिपस्टिक, मेहंदी, नाखूनी, तेल, क्रीम,पाउडर, इत्र,काजल आदि),लाल-पीला कपड़ा, हवन सामग्री, धूप, कपूर, गुग्गुल, इलाइची,लौंग, सुपारी, रोली, जनेऊ,कलावा, हल्दी,चावल, पान के पत्ते, नारियल, आम के पत्ते, दूब घास, गाय का घी,अक्षत (पूजा में प्रयोग होने वाले साबुत चावल को अक्षत कहते हैं), जौ, जौ बोने के लिए कोई पात्र, मिट्टी, मिट्टी का कलश, गंगाजल,  लाल-फूल, फल, प्रसाद भोग



कलश स्थापना की विधि:- 

कलश की स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:25 से लेकर 7:25 तक है

  • सबसे पहले स्नान करे।
  •  जिस जगह कलश की स्थापना करनी है,उसे साफ कर ले।
  • एक चौकी पर लाल कपड़ा बिच्छा कर माता की प्रतिमा राखे।
  • माता के दहिने तरफ कलश इस्थपित करे।
  • पहले थोड़े चबल डाले उस पर मिट्टी का पत्र रख कर, मिट्टी और जौ डाल ले।
  • कलश पर स्वास्तिक बना ले।
  • इसके बाद रक्षा सूत्र बांध कर कलश में गंगाजल  डालें। 
  • उसके बाद उसमें अक्षत (पूजा में प्रयोग होने वाले साबुत चावल को अक्षत कहते हैं), दूर्वा, सिक्का, फूल, सुपारी आदि डालें
  • नारियल ले, नारियल पर चुनरी लपेट कर उसे कलश पर रख दे। 
  • इस प्रकार चैत्र नवरात्र में कलश की स्थापना करें।
  • उसके बाद दीपक कपूर जला कर पूजा करें।

कलश स्थापना से पहले जरूर करें ये काम:-

कलश स्थापना अखंड ज्योति के बिना अधूरी मानी जाती है इसलिए कलश स्थापित करने से पहले बड़े से मिट्‌टी के या पीतल के दीपक में अखंड ज्योति प्रज्वलित करें. अखंड ज्योति को आग्नेय कोण में स्थापित करना भी काफी शुभ माना जाता है.


नवदुर्गा: माँ दुर्गा के 9 रूप:-

2023 इस बार नवरात्रि पूजा कैसे करें?

  1. शैलपुत्री
  2. ब्रह्मचारिणी
  3. चन्द्रघंटा
  4. कूष्माण्डा
  5. स्कंदमाता
  6. कात्यायनी
  7. कालरात्रि
  8. महागौरी
  9. सिद्धिदात्री

पहले  दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है इस दिन की पूजा विधि इस प्रकार है-

  • सबसे पहले गणपति जी का आव्हान करें और फिर हाथ में लाल फूल लेकर मां शैलपुत्री का आव्हान करें
  • माता रानी को कुमकुम, सफेद चंदन, हल्दी, अक्षत, सिंदूर, पान, लौंग, 16 श्रृंगार का सामान अर्पित करें
  • एक लाल चुनरी में पांच प्रकार के सूखे मेवे चढ़ाएं और देवी को अर्पित करें
  • इसके साथ 5 सुपारी एक लाल कपड़े में बांधकर माता के चरणों में चढ़ाएं और सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते इस मंत्र का जाप करें
  • मान्यता है इससे मां अंबे विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करती हैं. मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करें और फिर आरती करें. इसी तरह शाम को भी पूजा करें


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